Biography of Rafi Ahamad Kidwai in hindi - रफी अहमद किदवई जी का जीवन परिचय

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रफी अहमद  किदवई जी का जीवन परिचय
Rafi Ahmad kidwai

रफी अहमद किदवई जी का जीवन परिचय

दोस्तो websine ब्लॉग में आपका स्वागत है दोस्तो आज हम एक ऐसे नेता के बारे में बताने जा रहे है जो किसी परिचय का मोहताज नही था लेकिन आज वह इतिहास के पन्नो में ही दफन होकर राह गया है जी हां दोस्तों हम बात कर रहे है रफ़ी अहमद क़िदवई जी की जो एक स्वतंत्रता सेनानी और भारत के जानेमाने नेता थे। तो आइ जानते है उनके जीवन से जुड़ी बातें-

प्राम्भिक जीवन :-

रफी अहमद क़िदवई एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे वह एक सामाजिक कार्यकर्ता एक राजनेता भी थे । रफी अहमद क़िदवई जी का जन्म 18 फ़रवरी 1894 ई० को  उत्तर प्रदेश राज्य के जिला बाराबंकी के अंतर्गत मसौली गांव में हुआ था।

रफी जी के पिता का नाम इम्तियाज अली क़िदवई और उनकी माता का नाम रशीद -अन-निशा था ।

इनकी प्राम्भिक शिक्षा गांव में ही सम्पन्न हुई तथा हाईस्कूल सन 1913 ई० को बाराबंकी से पास किया। सन 1918 ई० को एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज,अलीगढ़ से बी० ए० स्नातक की उपाधि प्राप्त की।

सन 1919 ई० में इनकी शादी मजीद-अन-निसा के साथ हुई । वह भी एक जमींदार परिवार से तालुक रखती थी ।

रफी जी अपने चार भाइयों में सबसे बड़े थे जिनका नाम     क्रमशः शफी अहमद,महफूज अहमद,हुसैन कामिल,अली कामिल था । महफूज अहमद के बेटे फरीद क़िदवई समाजवादी पार्टी के और उत्तर प्रदेश सरकार के राज्य मंत्री भी राह चुके है और अभी भी समाजवादी पार्टी के एक जाने माने नेता है।

रफी अहमद क़िदवई का राजनीतिक जीवन (स्वतन्त्रता प्राप्ति से पहले) :-

सन 1919 ई० में इन्होंने एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज,अलीगढ़  से ही LLB के लिए दाखिला लिया लेकिन उसे पूरा नही कर पाए कयोंकि तभी वह गांधी जी के खिलाफत आंदोलन में मुख्य रूप से उतर गए और इसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा और इसी आंदोलन से वह एक सक्रिय नेता के रूप में उभरे ।

सन 1926 ई० के चुनाव में वह स्वराज पार्टी के टिकट पर  विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की और पार्टी के मुख्य सचिव बनाये गए। सन 1930 ई० को उन्होंने अपने इस पद से इस्तीफ़ा दे दिया और वह गांधी जी के सविनय अवज्ञा आंदोलन से जुड़ गए और कांग्रेस कार्यकारणी सदस्यों द्वारा पूर्ण स्वराज संकल्प के जवाब में जनवरी 1940 ई० को केंद्रीय विधानसभा से इस्तीफा दे दिया। भारत सरकार अधिनियम के लिए उन्होंने ने एक पद भी संभाला 

1935 का शासन विधान लागू होते समय रफ़ी अहमद क़िदवई उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष थे। मुस्लिम लीग द्वारा उनके ख़िलाफ़ फैलाए गए वातावरण के कारण उन्हें पहली बार चुनाव में सफलता नहीं मिली और उपचुनाव के द्वारा वे उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य बने।

1937 में पंडित गोविन्द वल्लभ पंत के नेतृत्व में जो पहला मंत्रिमंडल बना, उसमें वे राजस्व मंत्री औऱ जेलमंत्री बनाए गए उनके नेतृत्व के तहत, यूपी ज़मीनदार प्रणाली को ख़त्म करने वाला पहला प्रांत बन गया। अप्रैल 1946 में वह यूपी के गृह मंत्री बने।

रफ़ी अहमद क़िदवई का राजनीतिक जीवन (स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद) :-

स्वतंत्रता प्राप्ति के उपरान्त वह पंडित जवाहर लाल नेहरू भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने और रफी अहमद उनके प्रमुख सहयोगी थे और उन्हें नेहरू मंत्री मंडल में भारत के पहले संचार मंत्री का पद दिया गया उस समय नेहरू के केंद्रीय कैबिनेट में रफी अहमद क़िदवई और अबुल कलाम आजाद दो ही मुसलमान नेता थे । उसके बाद सन 1952 ई० को उन्हें बहराइच से टिकट मिला और उन्होंने वहां से जीत हासिल की और केंद्र में खाद्य और कृषि मंत्री का पदभार संभाला । इसप्रकार उन्होने चाहे केन्द्र हो या राज्य दोनों जगह अपनी छाप छोड़ी और प्रशासनिक छमता के अनुरूप नए मापदंड स्थपित किये।

निधन :-

रफी अहमद क़िदवई का निधन 24 अक्टूबर सन 1954 ई० को 60 वर्ष की उम्र में ह्रदय गति रुक जाने के कारण दिल्ली में हुआ था। उन्हें अपने पैतृक गांव मसौली में एक मस्जिद में पूरे सम्मान के साथ दफनाया गया था ।

रफी अहमद जी को प्राप्त पुरस्कार और सम्मान :-

  • रफी किदवई भारत के पहले संचार मंत्री थी |
  • सन 1956 मे ICAR भारती कृषि अनुसंधान परिषद व्दारा रफी अहमद किदवई पुरस्कार बनाया गया है | जो कि कृषि क्षेत्र मे भारतीय शोधकर्ताओ को मान्यात देने के लिए प्रदान किया जाता है |
  • सन 2011 मे गजियाबाद के पोस्टल स्टाफ कॉलेज का नाम रफी अहमद किदवई राष्ट्रीय डाक अकादमी रखा गया है
  • हरदोई जिले मे रफी अहमद किदवई इंटर कॉलेज उनके नाम पर रखा गया है।
  • कोलकत्ता मे उनके नाम पर एक गली भी है 
  • बाराबंकी जिले में भी उनके नाम से सरकारी कॉलेज तथा एक रेलवे स्टेशन भी है ।

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